संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है। यद्यपि यह पुस्तक अपने मूल रूप में नहीं रह गयी है, फिर भी उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आस- पास निर्धारित की गई है। पंचतंत्र को पाँच तंत्रों में बाँटा गया है: मित्रभेद, मित्रसंप्राप्ति, काकोलुकीयम्, लब्धप्रणाश, अपरीक्षित कारक।
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